है किशन नाम तू सहज सरल
व्यंगार्थ हुए पल पल विह्वल
है रसिक रास रसना फेरी
तू चाँद चकोर सुमन केरी
है अजब नाथ महिमा तेरी
सब साथ रहे यह आस रहे
न द्वेष भावना पास रहे
मिट जाये निकट जो विकट घड़ी
संताप मिटै हर दोष मिटै
सब मोह मिटै उस माया से
जो मनुष देह को भ्रमित करे
नस्वर ही जीवन व्यर्थ करे
ऐसी माया से रहो परे
तुम करो प्रेम उस साजन से
जो कण कण-क्षण क्षण में विदित रहे
न द्वेष भावना है उसमे
न क्षणिक मात्र कटु सैय्या है
है रास रचे वो रसिक राज
वो सावल देह कन्हैया है।
जय श्री राधे कृष्णा
व्यंगार्थ हुए पल पल विह्वल
है रसिक रास रसना फेरी
तू चाँद चकोर सुमन केरी
है अजब नाथ महिमा तेरी
सब साथ रहे यह आस रहे
न द्वेष भावना पास रहे
मिट जाये निकट जो विकट घड़ी
संताप मिटै हर दोष मिटै
सब मोह मिटै उस माया से
जो मनुष देह को भ्रमित करे
नस्वर ही जीवन व्यर्थ करे
ऐसी माया से रहो परे
तुम करो प्रेम उस साजन से
जो कण कण-क्षण क्षण में विदित रहे
न द्वेष भावना है उसमे
न क्षणिक मात्र कटु सैय्या है
है रास रचे वो रसिक राज
वो सावल देह कन्हैया है।
जय श्री राधे कृष्णा
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