बचपना ख़त्म न हुआ दिल बेईमान हो गया
गुलाब उसने दिया
मालूम न था कि गुलाब जैसा ही इश्क है
बाजार में आज जब सारे इश्कजादों को देखता हूँ
-कृपया हास्य में तर्क की अपेक्षा न करे
बस अपनी बीती कहानी रिमाइंड करें।
आठवीं में ही था बस प्यार हो गया
गुलाब उसने दिया
हमने ले भी लिया
मालूम न था कि गुलाब जैसा ही इश्क है
कभी हसे कभी रोये
कभी जगे कभी सोये
बुआ की डांट खायी
बाप की लात खायी
पर ये लत न गयी
अरे खूब उसकी याद आयी
कलेजा तो तब हिल गया
जब उसके चक्कर में
एक बंदा और मिल गया
कांटा गुलाब का तब इश्क में चुभ गया।
नशा भी साहब इस इश्क का बेहिसाब था
जब उसके चक्कर में
एक बंदा और मिल गया
कांटा गुलाब का तब इश्क में चुभ गया।
नशा भी साहब इस इश्क का बेहिसाब था
आठवीं में सबसे फ़ास्ट,
और दसवीं में सिर्फ पास था
ये दशा, दिशा दोष का समयचक्र था
हर किसी दोस्त को इसका अपना अनुभव था
बेचारा उस वक्त वही था
जो आज UPSC पास कर गया
हम तो इश्क के मारे थे
वो ही हमको बर्बाद कर गया।
बाजार में आज जब सारे इश्कजादों को देखता हूँ
तो अपने ठेले के लिए थोड़ी सी जगह खोजता हूँ।
-कृपया हास्य में तर्क की अपेक्षा न करे
बस अपनी बीती कहानी रिमाइंड करें।
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